मनोवृति
सुबह -सुबह  का  वक्त 
दरवाजे  के  बाहर 
खड़ा  कोई  शख्स ,
बड़ी  तेज  आवाज़  लगाई ,
क्या  कोई  है  भाई ?
अन्दर  से  एक  सभ्य  
महिला  निकल  आई  ,
देख  भिखारी  को  
आँखे  तमतमाई  ,
तभी  भिखारी  ने  कहा ,
दे -दे  कुछ  माई  ,
अल्लाह  भला  करेगा  तेरा 
मिलेगी  तुझे  दुहाई  । 
पर  इस  बात  से  उसके  
कानो पे  कहाँ  जूँ रेंग  पाया ,
उसने  अपने  वफादार  
टौमी  को  बुलाया  ,
भिखारी  के  पींछे दौड़ाया ,
भिखारी  झोला ,कटोरा  
लिए  दौड़ा ,
लेकिन  कुत्ते  ने  उसे  
कहाँ  छोड़ा । 
मांस  का  टुकड़ा नोंच  लाया  ,
और  मजे  से  चबाया  । 
फिर  भी 
 मालिक  ने  उसे  सहलाया ,
दूध -बिस्कुट  खिलाया ,
और  समझाया  
बेटा -आगे  से  ऐसे  ही  पेश  आना  ,
इन  गंदे  कीड़ों को  यहाँ  
आने  पर  पड़े  पछताना  । 
 
 
टिप्पणियाँ
saadar
praveen pathik
9971969084
इस बार आपने नवीन प्रयोग किया है और सोचता हूँ कि आप सदा ही नया करती रहती हैं .
भिखारी मनोवृत्ति का ह्रास होना चाहिये पर अमानवीयता की कसौटी पर नही.