वक्त की शरारत

जाते हुए वक़्त को

रोककर मैंने पूछा

जो छोड़ कर जाते हो

उसकी वजह भी

देते जाओ

वो बहुत ही

जल्दी में था

आदतन टालकर

कल पर छोड़ कर

' मिलियन डॉलर स्माइल '

देते हुए

रफूचक्कर हो गया ,

और मुझे

सवालों के साथ

अकेला

वही छोड़ गया ।

टिप्पणियाँ

वक्त जवाब नहीं देता ,उत्तर खुद ही खोजो ।
Ravindra Singh Yadav ने कहा…
नमस्ते,

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 11 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
पवन शर्मा ने कहा…
वाह...वाह....!
Meena Bhardwaj ने कहा…
सादर नमस्कार,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार
(12-06-2020) को
"सँभल सँभल के’ बहुत पाँव धर रहा हूँ मैं" (चर्चा अंक-3730)
पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है ।

"मीना भारद्वाज"
शुभा ने कहा…
वाह!बहुत खूब👌
शायद उसके पास खुद का ही जवाब नहीं था
बहुत खूब ... ऐसी बातों का जवाब किस के पास होगा ... समय तो रुकता कहाँ है किसी जवाब सवाल के लिए ...
मन की वीणा ने कहा…
वाह!
गज़ब अब तो पढ़ने वाले भी सवालों में घिरे हैं आखिर क्यों..
अनीता सैनी ने कहा…
वाह!बेहतरीन सृजन आदरणीय दी.
जाते हुए वक़्त को
रोककर मैंने पूछा
जो छोड़ कर जाते हो
उसकी वजह भी
देते जाओ
वो बहुत ही
जल्दी में था..वाह!👌
Anuradha chauhan ने कहा…
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति 👌👌
Sunil "Dana" ने कहा…
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!!
Sunil "Dana" ने कहा…
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!!
Rakesh ने कहा…
सुंदर अभिव्यक्ति 👌
बहुत सही ..वक्त सचमुच हमें हमारे सवालों के साथ छोड़ जाता है .
वाह। वक़्त से कुछ पूछो तो चम्पत हो जाता। और उसका मन हो तो हमसे ढेरों सवाल करता है।
shobhana ने कहा…
बहुत सुंदर
Meena Bhardwaj ने कहा…
बेहतरीन 👌👌
Amrita Tanmay ने कहा…
बेवफा वक्त ।

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