वक्त की शरारत
जाते हुए वक़्त को
रोककर मैंने पूछा
जो छोड़ कर जाते हो
उसकी वजह भी
देते जाओ
वो बहुत ही
जल्दी में था
आदतन टालकर
कल पर छोड़ कर
' मिलियन डॉलर स्माइल '
देते हुए
रफूचक्कर हो गया ,
और मुझे
सवालों के साथ
अकेला
वही छोड़ गया ।
जाते हुए वक़्त को
रोककर मैंने पूछा
जो छोड़ कर जाते हो
उसकी वजह भी
देते जाओ
वो बहुत ही
जल्दी में था
आदतन टालकर
कल पर छोड़ कर
' मिलियन डॉलर स्माइल '
देते हुए
रफूचक्कर हो गया ,
और मुझे
सवालों के साथ
अकेला
वही छोड़ गया ।
टिप्पणियाँ
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 11 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार
(12-06-2020) को
"सँभल सँभल के’ बहुत पाँव धर रहा हूँ मैं" (चर्चा अंक-3730) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है ।
…
"मीना भारद्वाज"
गज़ब अब तो पढ़ने वाले भी सवालों में घिरे हैं आखिर क्यों..
जाते हुए वक़्त को
रोककर मैंने पूछा
जो छोड़ कर जाते हो
उसकी वजह भी
देते जाओ
वो बहुत ही
जल्दी में था..वाह!👌