मानवता का 'स्वप्न'
कैसा दुर्भाग्य ? तेरा भाग्य
सर्वोदय की कल्पना ,
बुनता हुआ विचार,
स्वर्णिम कल्पना को आकार देता ,
खंडित करता , फिर
उधेड़ देता लोगों का विश्वास ,
नवोदय का आधार
फिर भी आंखों में अन्धकार ।
इच्छाओं की साँस का
घोटता हुआ दम ,
अन्तः मन का द्वंद प्रतिक्षण ।
भाव - विह्वल हो कांपता ,
अकुलाता भ्रमित - स्पर्श ,
टूट कर भी निःशब्द ,
मानवता का 'स्वप्न ' ।
सर्वोदय की कल्पना ,
बुनता हुआ विचार,
स्वर्णिम कल्पना को आकार देता ,
खंडित करता , फिर
उधेड़ देता लोगों का विश्वास ,
नवोदय का आधार
फिर भी आंखों में अन्धकार ।
इच्छाओं की साँस का
घोटता हुआ दम ,
अन्तः मन का द्वंद प्रतिक्षण ।
भाव - विह्वल हो कांपता ,
अकुलाता भ्रमित - स्पर्श ,
टूट कर भी निःशब्द ,
मानवता का 'स्वप्न ' ।
टिप्पणियाँ
गुलमोहर का फूल
खंडित करता , फिर
उधेड़ देता लोगों का विश्वास"
बहुत सुन्दर...........बधाई.
आपके ही स्नेह में अनुरक्त हूँ
ये कविता है मेरा जीवन नहीं
अंशतः व्यक्त औ अंशतः अव्यक्त हूँ.
kya baat hai aajkal sabhi swapn ke peechhe pade hain aaj hi 3-4 post swapn se sambandhit padhin. dhanyawaad. han. bhut sarahniya rachna.