ज़िन्दगी
ये धूली-धूली सी ,
ये महकी -महकी सी ।
ओस के बिखरे बूंदों सी ,
हवा सी बहती जाए
आहिस्ते सरकती जाये कही ,
इसे सुबह की प्याली सी
चुस्की लेते हुए हर कही
पीते जा रहे है सभी ,
ये ज़िन्दगी जी रहे है सभी ,
कही -कही अनसुनी सी ,
कभी सूनी -सूनी सी ,
कुछ कहते अपने में ही ,
कुछ कहते-कहते ठहरी ,
गुमसुम सी होकर खड़ी ,
हलकी मुस्कान की लिए हँसी ,
लपेटे चल रहे हैं सभी
ये ज़िन्दगी जी रहे हैं सभी ,
ये ज़िन्दगी है सब को प्यारी
हर पन्ने पर लिखती कहानी नई ,
मन को जोड़ती हुई
सुबह से शाम चलती यूँ ही
रात को थक कर सो जाती
आंखों पर रखकर सपने कहीं
चाहें हँसी चाहें नमी
ये ज़िन्दगी जी रहे हैं सभी
ये महकी -महकी सी ।
ओस के बिखरे बूंदों सी ,
हवा सी बहती जाए
आहिस्ते सरकती जाये कही ,
इसे सुबह की प्याली सी
चुस्की लेते हुए हर कही
पीते जा रहे है सभी ,
ये ज़िन्दगी जी रहे है सभी ,
कही -कही अनसुनी सी ,
कभी सूनी -सूनी सी ,
कुछ कहते अपने में ही ,
कुछ कहते-कहते ठहरी ,
गुमसुम सी होकर खड़ी ,
हलकी मुस्कान की लिए हँसी ,
लपेटे चल रहे हैं सभी
ये ज़िन्दगी जी रहे हैं सभी ,
ये ज़िन्दगी है सब को प्यारी
हर पन्ने पर लिखती कहानी नई ,
मन को जोड़ती हुई
सुबह से शाम चलती यूँ ही
रात को थक कर सो जाती
आंखों पर रखकर सपने कहीं
चाहें हँसी चाहें नमी
ये ज़िन्दगी जी रहे हैं सभी
टिप्पणियाँ
thanx
सुबह से शाम चलती यूँ ही
रात को थक कर सो जाती
सुन्दर कविता , बधाई हो !
लपेटे चल रहे हैं सभी
ये ज़िन्दगी जी रहे हैं सभी ,
वाह। सुन्दर पंक्तियाँ।
छीनकर खुशियाँ हमारी अब हँसी वे बेचते।
दिख रहा वो व्यावसायिक झूठी सी मुस्कान है।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
Just one thing is missing, if possible then from next post please take care of commas, full stop, etc...
Actually that really help to the readers to get the feel of the poetry.
Above all of this, I am totally flattered by your way of expression.
रात को थक कर सो जाती
आंखों पर रखकर सपने कहीं
चाहें हँसी चाहें नमी
ये ज़िन्दगी जी रहे हैं सभी
एक सार्थक और मननीय रचना
लफ्ज़-लफ्ज़ खूबसूरत इज़हार ....
बधाई
---मुफलिस---
छीनकर खुशियाँ हमारी अब हँसी वे बेचते।
दिख रहा वो व्यावसायिक झूठी सी मुस्कान है।।