शुक्रवार, 8 मई 2009

समीक्षा

अपनी गलती का अहसास तो ,
है सही ,
ये भी कम बात नही ,
हम किसी की भावना समझ सके ,
उसकी अच्छाइयों को परख सके ,
साथ देने की कोई हद नही ,
रिश्तो के मापदंड का कोई कद नही ,
हम किसी की गलतियों को दोहराए ,
ये बात भी कुछ ठीक नही ,
गलतियाँ हमें कुछ सिखलाये ,
जीवन दर्शन तो है यही सही

4 टिप्‍पणियां:

शोभना चौरे ने कहा…

बहुत सुन्दर समीक्षा भावो की .
बधाई

ज्योति सिंह ने कहा…

dhanyawaad shobhna ji .aap mere blog pe aai iske liye mein aapki aabhari hoon .

के सी ने कहा…

सुन्दर कविता लिखी है बधाई

ज्योति सिंह ने कहा…

shukriya kishore ji .aap jis jagah se jude hai waha to mera bachpan gujra hai .