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एक सच ऐसा भी (क्या हो गयी है तासीर जमाने की )

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धूल   में   सने   हाथ कीचड़   से   धूले   पाँव  , चेहरे   पर   बिखरे   से   बाल धब्बे   से   भरा   हुआ   चाँद  , वसन   से   झांकता   हुआ   बदन पेट  , पीठ   में   कर   रहा   गमन  , रुपया  , दो   रुपया   के   लिए गिड़ गिडाता   हुआ   बच्चा  - फकीर  , मौसम   की   मार   से   बचने   के   लिए ढूँढ रहा है अपने लिए  आसरा   सड़क   के   आजू  - बाजू  , भूख   से   व्याकुल   होता   हाल नैवेद्य   की   आस   में   बढ़ता   पात्र  । ये   है   सुनहरा   चमन वाह   रे   मेरा   प्यारा   वतन  । अपने   स्वार्थ   में   होकर   अँधा क्या खूब  करा   रहा   भारत   दर्शन  । " जहां   डाल  - डाल   पे   सोने   की चिड़ियाँ   करती   रही   बसेरा  " बसा   नही   क्यों   फिर   से वो   भारत   देश   अब   मेरा  । ⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳🏕 जय हिंद 

धरती की हूँ मैं धूल

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धरती   की   हूँ  मै  धूल गगन   को   कैसे   चूम  पाऊँगी उड़ाये  जितनी भी   आंधियाँ तो   भी   आकाश   न   छू  पाऊंगी   जुड़ी   हुई  हूँ मै  जमीन   से किस   तरह   यह   नाता   तोडू   , अम्बर   की   चाहत   में   बतला किस   तरह   यह   दामन   छोड़ू   । ☂️☂️☂️☂️☂️☂️☂️☂️☂️☂️☂️

खट्टे- मीठे एहसास

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उस पर ऐतबार रहा वो ही मददगार रहा इंसान की जात से तो दिल बस बेजार  रहा ।  🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 सुनाने वाला सुना देता है सुनने वाला सुन लेता है फिजूल की बातों पर वक्त ही शहीद होता है ।  🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍂🍂🍂🍂 खुद के जीने के लिए यू  तो कभी सोचा ही नही ख्वाहिश खुली हवा की हुई न हो ऐसा भी नहीं  ।  🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍃🍃🍃🍃🍃 ठिकाने बदलते रहे रिश्तें बदलते रहे कल से नाता तोड़ कर आज से बंधते रहे।  🥀🥀🥀🥀🥀🥀 कितने घर बदले  कितने शहर बदले फिर भी सोच वही थी लोग नही बदले। 🌖🌖🌖🌖🌖🌖🌖🌖🌖🌖🌖  मौसम अपने मुताबिक थे फिर भी रास नहीं आये मन के अच्छे होने से ही मन को रास सभी आये  ।  🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 ज्यादा की मांग जिंदगी को तबाह कर देती हैं नाउम्मीदी आदमी को निराश कर देती हैं अमीरी के कब्र पर पनपी गरीबी की घास जिंदगी का जीना दुश्वार कर देती हैं  ।  🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

छोटी छोटी दो रचना

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नींव की पुनरावृति कर  खंडहर क्यो बुलंद करते हो ? जर्जर हो गये जो ख्याल  उनमे हौसला कहाँ जड़ पाओगे ,  अतीत को वर्तमान सा न बनाओ  टूटे मन को कहाँ जोड़ पाओगे   ।  ⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ दर्द से दर्द का श्रृंगार नहीं होता दर्द से किसी को प्यार नहीं होता दर्द का कोई व्यापार नही होता दर्द का कोई साहूकार नही होता  दर्द का दर्द ही आप साथी हैं दर्द से किसी को सरोकार नही होता। 

कुछ दिल ने कहा

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अच्छे को अच्छे बोल देने मे क्या बुराई है अच्छाई से आखिर हमारी क्या  लड़ाई है ये तो हर दिल को अजीज होती हैं इसमें ये क्या देखना अपनी है या पराई है ।  🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳 जिस बात के लिए  बहुत सोचना पड़ता है उस बात को फिर  पीछे छोड़ना पड़ता है  ।  🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴 दिमाग वालों से यहाँ  कौन भिड़ता है वेबकूफ़ों से ही तो हर कोई लड़ता है।  🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿 सच ही कभी कभी  हमें स्वीकार नहीं होता आँखों देखे पर भी  हमें विश्वास नहीं होता।  🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀 हर कोई बैठा है इसी इंतजार में कब सब अच्छा होगा इस संसार में  ।  🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 वक़्त की मांगे करवटें लेती रहती हैं उम्मीदें बहुत कुछ बदल देती हैं  आगाज से बहुत अलग अंजाम होता है अंत में सब लकीरों के नाम होता है  । 

कुछ ऐसी भी बातें होती हैं....

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अब क्या करना है ये जिंदगी और मिल भी गई तो क्या?  अब वक्त ही नही है  इन सभी बातों के लिए इन सभी जज़्बातों के लिए हर बात के लिए 'वक्त'  मुकर्रर किया गया है यहाँ उस वक्त पर जो नही हुआ वो नही हुआ फिर कभी नहीं हुआ क्योंकि गलत वक्त पर किया गया काम  किसी काम का नही हुआ  उसमें वो बात  ही नही होती  जो समय पर होने से है होती  वगैरह वगैरह वगैरह न जाने ऐसे कितने ही सवाल  उम्र के ढलने पर जवानी के दौर गुजरने पर जहन में जन्म लेते है या लेने लग जाते है  क्योंकि  उम्र के उस पड़ाव पर आदमी खड़ा होता है या  हम खड़े होते है  जहाँ इच्छाये   साथ छोड़ने लग जाती हैं जिंदगी जीने का  सलीका जान जाती है,  यही है जिंदगी जब तक रास्ते समझ में आते है तब तक लौटने का समय  होने लगता हैं धीरे धीरे हर बात से  नाता टूटने लगता हैं,  तभी  आदमी की सोच को  तथास्तु  तथास्तु  तथास्तु  कह कर समय  अपनी रफ्तार का  अहसास कराता हैं जो होना था  सो हो गया जो है ,उसमें खुश रहने की  नसीहत दे जाता हैं  । 

रंग पर्व.....

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ये रंग हो प्यार का ये रंग हो बहार का ये रंग भरे जज्बातों में ये रंग भरे अहसासों में , ये रंग हो सच्चे रिश्तों का ये रंग हो गहरे रिश्तों का ये रंग हों उम्मीदों के  ये रंग हो विश्वास के ये रंग हो सपनो के ये रंग हो अपनों के ये रंग हों इजहार का ये रंग हों इकरार का  ये रंग हों उत्साह का ये रंग हों उमंग का  ये रंग बेरंग न हो किसी बात से । ये रंग न हो जीत -हार के ये रंग न हो द्वेष - दुर्व्यवहार का , ये रंग ना हो जात पात का ये रंग हों खुशियों भरे त्यौहार का  ये रंग हों सुंदर  सुंदर व्यवहारों का  ये रंग हों सिर्फ प्यार का ये रंग हों सिर्फ बहार का   ।  आप सभी को रंगों भरे त्यौहार होली की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई हो, 

एक जीत नजर आती है... ......

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 है कठिन जमाना लिए दर्द गहरे  अन्यायों की दीवारों में , जख्मो की बेड़िया पड़ी हुई है परवशता के विचारो में । रोते -रोते मोम के आँसू बदल गये अब सिसकियो में , हर दर्द उठाती है मुस्कान इस बेदर्द जमाने में   छिपाये नही छिपते है आंसू हकीकत के इन आँखों में , एक जीत नजर आती है जिंदगी जीवन के इन हारो में । रात को रौशन कर देगी कभी चाँदनी अपने उजालो में ।

गुजारिश

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दुर्घटनाओ   की   उठी   लहरों   को फना   करो  , आकांक्षा   की   वधू   को सँवरने   दो  , उठे   न  यहाँ  ऐसी   आंधी   कोई मांझी   कश्ती   का   रुख   मोड़  दो उमंग   भरी  मौजों  की   कश्ती साहिल   पे   आने   दो  , फिजाओं में मस्तियों को  लहराने दो कारवां   जब   हो   निगाहों   में जुस्तजू   सिमटी   हो   बाँहों   में  , ऐसे   खुशनुमा   माहौल   में किसी   तूफ़ान   का   ज़िक्र   न   करो  । 

मेरी दिली तमन्ना है

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मेरी दिली तमन्ना है इस दुनिया की तस्वीर बदल जाये मेरे रहते मेरे सामने ही ये दुनिया सँवर जाये ,  सुख- दुख आपस के बाँट सके मिलजुल कर जीना आ जाये जीवन का सार समझ ले सब जीना आसान बना जाये,  सोने की चिड़ियाँ भले न हो मन सबका सोना हो जाये,  बुरी बातों से तोड़ कर नाता अच्छी बातों के संग हो जाये,  जीवन की ही नही सारी दुनिया की तस्वीर बदल जाये  दिन भी रौशन होता रहे  रात भी जगमग हो जाये।  मेरी दिली तमन्ना है.......। 

द्वेष- क्लेश

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रिश्तों   के   आपसी   द्वेष  , परिवार   का समीकरण   ही   बदल   देते   है  , घर   के   क्लेश   से   दीवार चीख   उठती   है  , नफरत   इर्ष्या दीमक   की   भांति  , मन   को   खोखला  करती जाती है जिंदगी हर लम्हों के साथ कयामत का इंतजार  करती   कटती   है   । और   विश्वास   चिथड़े   से लिपट  कर  सिसकियाँ  भरा करता है   ।

बचपन की हर तस्वीर.......

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बीते दिनो की हर बात निराली लगती है बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है . पहली बारिश की बूंदो मे मिलकर खूब नहाते थे , ढेरो ओले के टुकड़ों को बीन बीन कर लाते थे . इन बातो मे शैतानी जरूर झलकती है बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती हैै . सावन के आते ही झूलें पेड़ो पर पड़ जाते थे , बारिश के  पानी मे बच्चे कागज की नाव बहाते थे , बिना सवारी  की वो नाव भी अच्छी लगती है  बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है । पल में रूठना पल में मान  जाना  बात बात में मुँह का फूल जाना , जिद्द में अपनी बात मनवाना  हक से सारा सामान जुटाना , खट्टी मीठी बातों की हर याद प्यारी लगती है  बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है । कच्ची मिट्टी की काया थी  मन मे लोभ न माया थी , स्नेह की बहती धारा थी  सर पर आशीषों की छाया थी , चिंता रहित बहुत ही मासूम सी जिंदगी लगती है  बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है।

युग परिवर्तन

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युग परिवर्तन न तुलसी होंगे, न राम न अयोध्या नगरी जैसी शान . न धरती से निकलेगी सीता , न होगा राजा जनक का धाम . फिर नारी कैसे बन जाये दूसरी सीता यहां पर , कैसे वो सब सहे जो संभव नही यहां पर . अपने अपने युग के अनुसार ही जीवन की कहानी बनती है , युग परिवर्तन के साथ नारी भी यहॉ बदलती है ।

एक दूजे का साथ जरूरी है

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महिलाओ को एक दूजे का  साथ जरूरी है , हक -सम्मान का आपस में लेन -देन जरूरी है । तभी मिटेगी किस्मत की अँधेरी तस्वीर , धो देगी मन के मैल सभी संगम धारा की नीर । फूट पड़ेगी प्रेम की धारा प्रीत की रीत से , बदल जायेगी हर तस्वीर संगठन की जीत से । हर राह सुलभ हो जायेगी एकता की जंजीर से , अरमानो के फूल खिलेंगे सुखे हुए हर वृक्ष से । नारी से बेहतर नारी को कौन समझ पायेगा मिल जायेगी जहां ये शक्तियां फिर कौन हरा पायेगा ? ............................................ महिला दिवस की सबको बधाई इन पंक्तियों के साथ एक पल ठहरे जहां जग हो अभय  खोज करती हूँ उसी आधार की ।

कब तक.....

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कब   तक   और  ____ कहाँ   तक इन्तजार   में   खड़े   रहकर तुम्हारे   सहारे   को   तकते   रहें  __ कभी   तो कहीं   तो तुम   छोड़   ही   दोगे ऊब   कर   । बैसाखी   तो   हो   नही जो   पास   में   रख   लू   । इतना   ही   काफी   है जो   तुमने   खड़ा   कर   दिया  ___ दौड़   भले   न   पाऊं तुम्हारे   बगैर  , मगर   चल   तो   लूंगी   अब  , धीरे  - धीरे   ही   सही गिरते  - पड़ते   लड़खड़ाते  , एक   दिन   दौड़ने   भी   लगूंगी   ।

जिंदगी से सब.....

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मुक्कमल जहां किसी को   मिलता नही न मिले न सही  कोई बात नही ,  दुनिया को समझने के लिए जानने के लिए जिंदगी ही काफी है  यहाँ जिंदगी ही बहुत कुछ दे देती है हमें  ये भी कम नहीं ,  ये जिंदगी ही सही सलामत रहे बहुत है कही  ।  **************** ये जिंदगी यू ही कुछ नहीं देती  बहुत कुछ देती है तो बहुत कुछ ले भी है लेती  यहाँ जिंदगी से बढ़ कर जिंदगी से पहले कुछ नहीं  इसी की वजह से सारी जरूरतें सारी बातें है होती,  ये सही सलामत है तब तक सब कुछ साथ है ।  जिस दिन ये नही उस दिन फिर कुछ नहीं ,  वजह भी यही, बेवजह भी यही हैं, इसलिए जो है जितना है उसे ही संभाल कर रक्खा जाये ,उसी के लिए दुआ किया जाये, सुख दुख सारे इसी के साथ है,जो कुछ अच्छा होता है मिलता है ,उसके लिए अपने मालिक का शुक्रिया अदा करे, जाने के बाद भी जो साथ रहता है वो है काम, एहसास ,कर्म, प्यार। इन्ही की कद्र करनी चाहिए, इन्ही की हिफाजत करनी चाहिए ,हम सभी  इंसान को , यहाँ हौसले से काम बनते हैं, हथियार से नही, यहाँ हौसला जीतता है ,हथियार नही ।  यू तो कोई गिला नहीं  सबकुछ था क्या न था  फिर भी एक कमी सी थी  जिसका पता न था,  जाने क्या ब

उम्मीद.......

जिस उम्मीद के साथ हम कुछ कहने को जाते है  उस उम्मीद के साथ हम लौट कर नही आते हैं  ,  तभी तो उन लोगों से हम कुछ नहीं कह पाते है  बात समझने की जगह जो बात को  बढ़ा जाते है । 

संगदिल

तुम   तो   पत्थर   की   मूरत   हो नज़र   आते  ,  अजंता   की   सूरत   हो  , जहां  प्रेम  तो   झलकता   बखूबी पर   अहसास   नही   जिन्दा   कही   भी  , हर   बात   बेअसर   है   तुम   पर जो   समझ   से   मेरे   है   ऊपर  , सब  बात   पे   आसानी   से   कह   जाते कोई   फर्क   नही   पड़ता   हम   पर  , इस   हाड़  मांस   के   पुतले   में दिल तो नही ,हो गया कही पत्थर  ?  तुम   कह   गए   और   हम   मान   गये यहाँ   बात   नही   होती  , पूरी   दिलबर  , क्या   ऐसा   भी   संभव  है यह   प्रश्न  खड़ा  , मेरे   मन   पर  , छोड़ो  अब   इसे   जाने   दो  , देखेंगे क्या   होगा   आगे   आने   पर  ।

प्यारे बापू कोटि कोटि प्रणाम

बापू की चप्पल  बापू की धोती  बापू की ऐनक बापू की लाठी  ये सब थे बापू के साथी बापू का चरखा  बापू के सूत  बापू के विचार  बापू सत्य के सपूत  बापू का दृढ़ संकल्प अटूट  नही कभी आराम  नही कही विश्राम  बापू का रहा  बस चलना काम  बापू की पूजा उनका काम   बापू थे संत भारत के रत्न  लिए फिरते थे आजादी के स्वप्न युग के गौतम शत शत नमन भारत को आजाद कराया अंग्रेजों को मार भगाया  नमक आंदोलन तुमने चलवाया डांडी यात्रा भी करवाया  देश के प्रति कर्तव्य अपने तुमने खूब निभाया  देश तुम्हारी है संतान  राष्ट्रपिता तुम सबके महान  किया न्योछावर देश के लिए  खाकर गोली अपने प्राण  सारे जग को तुम पर अभिमान युग के गौतम करुणा धाम प्यारे बापू कोटि कोटि प्रणाम.

एक अजीब बाजार है दुनिया

एक अजीब बाजार है दुनिया  जिंदगी की खरीदार है दुनिया,  मोल खुशी का है नही कोई गम की हिस्सेदार है दुनिया, सच की कीमत को न समझे  झूठ का करती व्यापार है दुनिया,  सौदा करने का ढंग न आये हिसाब मे बड़ी बेकार है दुनिया,  रिश्तों की पहचान है मुश्किल रहस्य भरी किरदार है दुनिया,  समझदारों की कमी नहीं है  फिर क्यों नही समझदार है दुनिया,  राह है सीधी ,सफर है मुश्किल  कैसी ये बरखुरदार है दुनिया ।

मै देश हूँ तुम्हारा...........

मैं देश हूँ तुम्हारा  मुझे प्यार से संवारो  मैं देश हूँ तुम्हारा  मुझे प्यार से संभालो  मै देश हूँ तुम्हारा  मुझे संकट से उबारों  मै देश हूँ तुम्हारा  मुझे हरा- भरा कर डालो मैं देश हूँ तुम्हारा  मुझे हृदय में बसा लो  मै देश हूँ तुम्हारा  मुझे बुरी नजरों से बचा लो  मै देश हूँ तुम्हारा  मुझे अंधेरो से निकालो  मै देश हूँ तुम्हारा  मुझे गले से लगा लो  मै देश हूँ तुम्हारा  मेरे भाग्य को जगमगा दो  मै देश हूँ तुम्हारा  मेरे सर पे ताज पहना दो  मै देश हूँ तुम्हारा  मुझे आँखों में सजा लो  मै देश हूँ तुम्हारा  मुझे सोच मे रच डालो  मै देश हूँ तुम्हारा  मुझे प्यार से संभालो । ज्योति सिंह  जय जवान  जय किसान , जय हिंद, मेरे प्यारे देशवासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई हो,  गगन को चूमता रहे तिरंगा हमारा खुशियों से लहराए तिरंगा हमारा. धरती को नमन, आकाश को नमन, देश को नमन और हमारें देश के सारे वीरों को नमन, संपूर्ण सृष्टि को रचने वाले प्यारे प्रभु को नमन, 👏👏💐🌷